Maa Devi Bhavāni Stotra – भवान्यष्टकम्

Maa Devi Bhavāni Stotra

भवान्यष्टकम् तातो  माता

Bhavani Ashtakam – Na Taato Na Mata

Sanskrit text with (English) Romanized lyrics and Bhāvārth in Hindi 

Receive Free
Yearly Hindu Calendar

&
Diwali Lakshmi Pooja Patri

SUBSCRIBE NOW

संस्कृतम् मूल स्तोत्र​ रचयिता आदि गुरु श्री शंकराचार्य

आदि शंकराचार्य रचित भवानी अष्टकम्
हिंदी भावार्थ सहित

तातो  माता  बन्धुर्न दाता
 पुत्रो  पुत्री  भृत्यो  भर्ता 
 जाया  विद्या  वृत्तिर्ममैव
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥ १ ॥

भावार्थ: हे भवानि ! पिता, माता, भाई, दाता, पुत्र, पुत्री, भृत्य, स्वामी, स्त्री, विद्या और वृत्ति व्यापार – इनमें से कोई भी मेरा नहीं है, हे देवि ! एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो ॥ १ ॥

भवाब्धावपारे महादुःखभीरु:
पपात प्रकामी प्रलोभी प्रमत्तः 
कुसंसारपाशप्रबद्धः सदाहं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥ २ ॥

भावार्थ: मैं अपार भवसागर में पड़ा हुआ हूँ, महान् दु:खों से भयभीत हूँ, कामी, लोभी, मतवाला तथा घृणायोग्य संसारके बन्धनों में बँधा हुआ हूँ, हे भवानि ! अब एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो ॥ २ ॥

 जानामि दानं   ध्यानयोगं
 जानामि तन्त्रं   स्तोत्रमन्त्रम् 
 जानामि पूजां   न्यासयोगं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥ ३ ॥

भावार्थ: हे देवि ! मैं न तो दान देना जानता हूँ और न ध्यान-मार्ग का ही मुझे पता है, तंत्र और स्तोत्रमन्त्रों का भी मुझे ज्ञान नहीं है, पूजा तथा न्यास योग आदि की क्रियाओं से तो मैं एकदम कोरा हूँ, हे भवानि ! अब एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो ॥ ३ ॥

 जानामि पुण्यं  जानामि तीर्थं
 जानामि मुक्तिं लयं वा कदाचित् 
 जानामि भक्तिं व्रतं वापि मात
र्गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥ ४ ॥

भावार्थ: न पुण्य जानता हूँ न तीर्थ, न मुक्ति का पता है न लय का । हे मात: ! भक्ति और व्रत भी मुझे ज्ञात नहीं है, हे भवानी ! अब केवल तुम्हीं मेरा सहारा हो ॥ ४ ॥

कुकर्मी कुसंङ्गी कुबुद्धिः कुदासः
कुलाचारहीनः कदाचारलीनः 
कुदृष्टिः कुवाक्यप्रबन्धः सदाहं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥ ५ ॥

भावार्थ: मैं कुकर्मी, बुरी संगति में रहने वाला, दुर्बुद्धि, दुष्टदास, कुलोचित​ सदाचार से हीन, दुराचारपरायण, कुत्सित दृष्टि रखनेवाला और सदा दुर्वचन बोलने वाला हूँ, हे भवानि ! मुझ अधम की एकमात्र तुम्हीं गति हो ॥ ५ ॥

प्रजेशं रमेशं महेशं सुरेशं
दिनेशं निशीथेश्वरं वा कदाचित् 
 जानामि चान्यत् सदाहं शरण्ये
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥ ६ ॥

भावार्थ: हे माँ भवानी ! मैं ब्रह्मा, विष्णु, शिव, इन्द्र, सूर्य, चन्द्रमा, तथा अन्य किसी भी देवता को नहीं जानता, हे शरण देनेवाली माँ भवानी ! एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो ॥ ६ ॥

विवादे विषादे प्रमादे प्रवासे
जले चानले पर्वते शत्रुमध्ये 
अरण्ये शरण्ये सदा मां प्रपाहि
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥ ७ ॥

भावार्थ: तुम विवाद, विषाद, प्रमाद, परदेश​, जल, अनल, पर्वत, वन तथा शत्रुओं के मध्य में सदा ही मेरी रक्षा करो, हे भवानी माँ ! एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो ॥ ७ ॥

अनाथो दरिद्रो जरारोगयुक्तो
महाक्षीणदीनः सदा जाड्यवक्त्रः ।
विपत्तौ प्रविष्टः प्रणष्टः सदाहं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥ ८ ॥

भावार्थ: हे भवानि ! मैं सदा से ही अनाथ, दरिद्र, जरा-जीर्ण, रोगी, अत्यन्त दुर्बल, दीन, गूँगा, विपद्ग्रस्त और नष्ट हूँ, अब तुम्हीं एकमात्र मेरी गति हो ॥ ८ ॥

इति श्रीमच्छड़्कराचार्यकृतं भवान्यष्टकं सम्पूर्णम् ।

 

Bhavani Maa 

Stotra on Maa Devi Bhavāni

Bhavānya-Ashtakam – Na Taato Na Mātā – Composed by Śri Ādi Shankarācharya

Na Taato Na Maataa Na Bandhur-Na Daataa,
Na Putro Na Putrī Na Bhirtyo Na Bhartaa;
Na Jaayaa Na Vidyaa Na Vrattir-Mameva,
Gatis-Tvam Gatis-Tvam Tvamekaa Bhavaani. (1)


Bhavaabdhaav-Apaare Mahaa-Duhkha-Bhīruhu,
Papaata Prakaamī Pralobhī Pramattaha;
Ku-Sansaara-Paasha-Prabaddaha Sadaaham,
Gatis-Tvam Gatis-Tvam Tvamekaa Bhavaani. (2)


Na Jaanaami Daanam Na Ca Dhyaana-Yogam,
Na Jaanaami Tantram Na Ca Stotra-Mantram;
Na Jaanaami Puujaam Na Ca Nyaasa-Yogam,
Gatis-Tvam Gatis-Tvam Tvamekaa Bhavaani. (3)


Na Jaanaami Punnyam Na Jaanaami Tīrtham,
Na Jaanaami Muktim Layam Vaa Kadaacit;
Na Jaanaami Bhaktim Vratam Vaapi Maatar,
Gatis-Tvam Gatis-Tvam Tvamekaa Bhavaani. (4)

Ku-Karmī Ku-Sanggī Ku-Buddhih Kudaasaha,
Kulaacaara-Hīnaha Kadaacaara-Līnaha;
Ku-Drissttih Ku-Vaakya-Prabandhah Sadaaham,
Gatis-Tvam Gatis-Tvam Tvamekaa Bhavaani. (5)


Prajesham Ramesham Mahesham Suresham,
Dinesham Nishītheshvaram Vaa Kadaachit;
Na Jaanaami Caanyat Sadaaham Sharannye,
Gatis-Tvam Gatis-Tvam Tvamekaa Bhavaani. (6)


Vivaade Vissaade Pramaade Pravaase,
Jale Ca-anale Parvate Shatru-Madhye;
Arannye Sharannye Sadaa Maam Prapaahi,
Gatis-Tvam Gatis-Tvam Tvamekaa Bhavaani. (7)


Anaatho Daridro Jaraa-Roga-Yukto
Mahā-Kssīnna-Dīnaha Sadaa Jaaddya-Vaktraha;
Vipattau Pravissttaha Pranassttaha Sadaaham,
Gatis-Tvam Gatis-Tvam Tvamekaa Bhavaani. (8)

Iti Śri Ādi Shankarāchārya Bhavānya-Ashtakam Samporanam!


Ishwar Maharaj – Pandit Ishwar P. Sharma compiled

From Bhavānya-Ashtakam (Bhavāni Ashtakam – Na Taato Na Mata Stotra) which is composed by Ādi Śri Shankarāchārya. Acknowledgement with due respect to Divine Life Society – Śri Swāmi Śivānandā. Other sources – The Geetā Press – Gorakhpur “Shakti-Stotraani” for Hindi भावार्थ: Bhaavaartha, The Sanskritam Dictionary – Sri Āpteji, and Devi Stuti. The text of the above Sanskrit Stotram remains same. Sanskrit Text of Stotra with pronounciation in Romanized English; and Bhāvārth in Hindi language.

 


Ishwar Maharaj – Pandit Ishwar Sharma
Hong Kong Address : P.O.Box 12637, Central, Hong Kong

E-mail: ishwarpooja@hotmail.com
Hong Kong Mobile : 9498 7557



Hindu Community : Ceremonies, rites, and rituals are performed by Ishwar Maharaj – Pandit as and when required for those devotees in need for different poojas and prayers.

Receive Free
Yearly Hindu Calendar

&
Diwali Lakshmi Pooja Patri

SUBSCRIBE NOW